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अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल विचार (Atal bihari vajpayee Quotes in Hindi)

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Atal bihari bajpayi

श्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के शिखर पुरुष, प्रखर वक्ता, प्रभावशाली कवि और पूर्व प्रधानमंत्री थे। राजनीति में सक्रिय रहते हुए अपनी कविताओं में विशिष्ट पहचान बनाई, उनके कविताओं में त्याग, बलिदान, देशानुराग, स्वाभिमान, अन्याय के प्रति विद्रोह, आस्था एवं समर्पण का भाव रहता है।

अटल बिहारी वाजपेयी के अनमोल विचार (Atal bihari vajpayee Quotes in Hindi)

विद्यालय एक पावन मंदिर होता है, एक अनुष्ठान का स्थान होता है, वह केवल सर्टिफिकेट बाँटने का कारखाना नहीं होता। विद्यालय संस्कार देता है। जिस विद्यालय में संस्कार नहीं दिए जाते , वहाँ शिक्षा नहीं दी जाती। संस्कार के बिना शिक्षा अधूरी है, केवल सूचनाओं का भण्डार व्यर्थ है।हमें शिक्षित नहीं, सुशुक्षित नागरिक चाहिए, जिनमें उत्तम संस्कार हों।

बोलने के लिए वाणी होनी चाहिए, लेकिन चुप रहने के लिए वाणी और विवेक दोनों चाहिए।

आदमी को चाहिए कि वह जुझे, परिस्थितियों से लड़े, एक स्वप्न टूटे, दूसरा गढ़े।

किसी भी देश को आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक साझेदारी का हिस्सा होने का ढ़ोग नहीं करना चाहिए, जबकि वो आतंकवाद को बढ़ाने, उकसाने और पालने में लगा हुआ है।

हमारे परमाणु हथियार शुध्द रुप से किसी विरोधी के परमाणु हमले को नष्ट करने के लिए है।

जो लोग हमसे पूछते हैं कि हम कब पाकिस्तान से वार्ता करेंगे, वो शायद ये नहीं जानते है कि पिछले 55 सालों में पाकिस्तान से बातचीत करने के सभी प्रयत्न भारत की तरफ से ही आये हैं।

आप मित्र बदल सकते है, पड़ोसी नहीं

प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देते समय अटल बिहारी जी का भाषण

अध्यक्ष महोदय, चालीस साल का मेरा राजनीतिक जीवन खुली किताब है। जब मैं राजनीति में आया था, मैनें कभी सोचा भी नहीं था कि मैं एम.पी. बनूँगा। मैं पत्रकार था, और जिस तरह की राजनीति चल रही है, वह मुझे रास नहीं आती। मैं उसे छोड़ना चाहता हूँ, मगर राजनीति मुझे नहीं छोड़ती है। फिर मैं विरोधी दल का नेता हुआ, आज प्रधानमंत्री हूँ, थोड़ी देर बाद प्रधानमंत्री भी नहीं रहूँगा। प्रधानमंत्री बनते समय मेरा हृदय आनन्द से उछलने लगा हो, ऐसा नहीं हुआ। अब जब मैं सब कुछ छोड़छाड़ कर चला जाऊँगा, तब भी मेरे मन में किसी तरह की ग्लानि होगी, ऐसा होने वाला नहीं है।

हम अपने देश की सेवा के कार्य में जुटे रहेंगे। हम संख्या बल के सामने सिर झुकाते हैं और आपको विश्वास दिलाते हैं कि जो कार्य हमने अपने हाथ में लिया हैं, वह राष्ट्रीय उद्देश्य जब तक पूरा नहीं कर लेंगे, तब तक आराम से नहीं बैठेंगे, विश्राम नहीं लेगे।

अध्यक्ष महोदय, मैं अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति महोदय को देने जा रहा हूँ।

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