Home खेती-बारी मधुमक्खी पालन  व्यवसाय  की पूरी जानकारी(Bee Farming Business) 

मधुमक्खी पालन  व्यवसाय  की पूरी जानकारी(Bee Farming Business) 

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faceless beekeeper checking honeycomb in apiary
Photo by Anete Lusina on Pexels.com

मधुमक्खी किसानों की सबसे अच्छी मित्र कीट है वैज्ञानिक अनुसंधान के अनुसार 77% परागण की क्रिया मधुमक्खियां ही करती हैं इससे जो फसल से होने वाली वृद्धि से जो आय होती है,  शहद और मोम से 20 गुना ज्यादा होती है. मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जो पालक के साथ-साथ औरों की जीवन में मिठास घोलता है। पालन करने में रोजगार का भी सृजन होता है उदाहरण के रुप में, बॉक्स के लिए बढ़ईगिरी ,लोहार को अवसर मिलता है। अतः यह एक कुटीर उद्दम का रुप ले लिया है। इस व्यापार का शुरू करने का सबसे बड़ा शर्त यह है कि इसकी अच्छी जानकारी होनी चाहिए। जो किसी भी कृषि विज्ञान केंद्र से जानकारी लिया जा सकता है, मधुमक्खी पालन भूमिहीन किसान व सीमांत किसान के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

मधुमक्खियां फूलों के रस को शहद में बदल देती हैं और उन्हें अपने छत्तों में जमा करती हैं। मधुमक्खी पालन के उत्पाद के रूप में शहद और मोम आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इस व्यवसाय में कम लागत और कम पूंजी लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है।  मधुमक्खी अपनी पूरी जिंदगी में कभी भी नही सोती है वह शहद के लिए दूर-दूर जाती है. ये बहुत मेहनती होती है।

एक यूनिट में 50 बॉक्स होते है जिससे साल में लगभग 2 लाख रुपये तक की कमाई किया जा सकता है।

इस व्यवसाय में न तो खेत की जरूरत होती है और कम पूजी वाला व्यक्ति भी कर सकता है। साथ ही साथ महिला पुरुष और बुजुर्ग भी मिलकर काम कर सकता है। शहद की बढ़ती मांग की वजह से लकड़ी के बॉक्स मैं बंद मधुमक्खी बहुत से लोगों का जीवन सवार रही है। इस व्यापार की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें लागत कम और मुनाफा अधिक है साथ ही महिला या पुरुष या बुजुर्ग भी इसे समझ कर के कुटीर उद्योग का रूप दे सकती हैं

इसमें किसानों की भी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती क्योंकि इसमें सभी किसान मिलकर काम करते हैं मांग ज्यादा है उत्पादन कम है। किसान फसल उत्पादन के साथ ही मधुमक्खी पालन कर सकते हैं और अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं इससे फसल की पैदावार भी अधिक होती है देश की युवा को आत्मनिर्भर होने के लिए मधुमक्खी पालन का व्यापार करना एक सस्ता और सरल उपाय हैं जबकि मुनाफा कई गुना है। घटती कृषि जोत एवं बढ़ती उत्पादन लागत के कारण मधुमक्खी पालन व्यवसाय को कृषि के साथ जोड़कर किसान अपने आय को बढ़ा सकते हैं।मधुमक्खी पालन करने के लिए इसके बारे में जानकारी, प्रतिबद्धता और अभ्यास की जरुरत होती है। अगर आपके पास यह नहीं है तो इस व्यवसाय में सफल होना कठिन है।

Table of Contents

मधुमक्खी पालन के लाभकारी उत्पाद

  • मधु (Honey)
  • पराग (Bee Pollen)
  • मोम  (Bee Wax)
  • गोद या प्रपोलिस (Propolis)
  • मौन विष (Bee Venom)
  • रॉयल जेली (Royal Jelly)

शहद (Honey)-

 मधुमक्खी के द्वारा तैयार शहद के सेवन से विटामिन, खनिज प्रचुर मात्रा में मिलता है जिससे शरीर में फुर्ती और शक्ति मिलती है। जो अन्य बीमारी को रोकने का शरीर में क्षमता पैदा होता है।

मधुमक्खियों से शहद निकालना: 

सबसे पहले अच्छे मौसम में जिस छत्तो से शहद निकालने है उसका चुनाव करना।

फिर शाम को, मधु निकाले जिससे मधुमक्खी बाधा न डाले।

अब जिस छत्तों से शहद निकालना है उसे सुरक्षित स्थान जैसे मच्छरदानी में जाकर निकालें।

अब छत्तों पर लगे मोम को छिलन चाकू की सहायता से अलग कर ले।

अब अलग किए गए छत्तों को शहद निकालने वाली मशीन में डाल कर घुमाना चाहिए जिससे शहद निकल जाए।

अब जिस टंकी में शहद पड़ा है उसे तब तक के लिए रख दे जब तक की गंदगी बैठ न जाए।

अब किसी कपड़ा से छान लें।

मौन विष (Bee Venom): 

मौन विष मधुमक्खी का जहर होता है, जो उनके डंक से प्राप्त होता है। जिसका प्रयोग बहुत से बीमारी को ठीक करने में किया जाता है।  जैसे जोड़ो का दर्द की दवा बनाने में, गठिया का दवा बनाने में किया जाता है। यह बहुत अधिक किमत में बिकता है। अगर अच्छी गुणवत्ता की मौन विष है तो 1 किलो का कीमत लगभग 70 लाख रुपए तक होता है।मौन विष को मशीन के सहायता से ही प्राप्त किया जाता है जिसकी एक मशीन की कीमत लगभग 12 हजार रुपये तक होती है। आ

मौन विष प्राप्त करने की बिधि-

  1. सबसे पहले मशीन को मधुमक्खी बॉक्स के सामने रख देते है।
  2. अब मशीन के ऊपर से होकर मधुमक्खियाँ अपने बॉक्स में जा पाती है, और आम तौर पर मधुमक्खियाँ एक विनम्र समाजिक कीट है जब तक उनको कोई परेशान न करे तब तक वो किसी पर हमला नही करती है। इसलिए यह मशीन 9 वाट का हल्का सा करेंट मक्खियों को लगाता है जिससे मक्खियों को गुस्सा आता है, तो उस मशीन पर डंक मारती है जिससे उसपर लगा कांच पर उनका विष निकल जाता है।
  3. अब इस मशीन को चालिस मिनट के बाद बन्द करके उस पर लगा मौन विष को किसी धारदार चाकु की सहायता से पोछकर किसी शीशी में रख लेते है।
  4. उसके बाद उसे डीफ्रीज करके रखते है।
  5. यह प्रक्रिया एक माह में दो बार ही किया जा सकता है।
मधुमक्खी बिष का उपयोग
  • जोड़ो का दर्द
  • गठिया
  • चर्म रोग
  • लकवा
  • वात रोग ठीक किया जाता है

रॉयल जैली-(Royal Jelly)

रॉयल जैली भी मक्खियों द्वारा बनाया गया उत्पाद है। जिसे मधुमक्खी का दूध के नाम से भी जाना जाता है।

मधुमक्खी पराग (Bee Pollen)

मधुमक्खियाँ पराग को दूर दूर जाकर फूलों से इकट्ठा करती है।पराग कणों को मधुमक्खी द्वार पर पराग जाल लगाकर एकत्र किया जा सकता है जिससे एकत्र किए गए पराग को वैज्ञानिक विधि द्वारा डब्बा में बंद करके रखा जा सकता है फूलों के कमी के कारण जिस समय प्राकृतिक पराग उपलब्ध ना हो उस समय मधुमक्खी को कृतिम भोजन में मिलाकर किया जा सकता है मधुमक्खियां पराग का सेवन करती है। और ये प्रोटिन और कार्बोहाइड्रेट का स्त्रोत होती है। पराग को परागकण ने नाम से जाना जाता है। पराग का मीठा स्वाद होता है, मधुमक्खियों को खिलाने के लिए सूखा पराग का इस्तेमाल किया जा सकता है। मधुमक्खियां अपने पिछले वाले पैरों में पराग को पैक करके छत्ते में ले जाती है,  मधुमक्खी के एक कालोनी से 2-5 किलो तक पराग को प्राप्त किया जा सकता है।

पराग का उपयोग
  • पराग के द्वारा एंटीऑक्सीडेंट के रुप में प्रयोग किया जाता है
  • सूजन को राहत देने कि लिए
  • तनाव कम करने के लिए 
  • पराग ही मधुमक्खीयों का प्रमुख भोजन है। इसके अभाव में इनका वंश नहीं चल सकता।
  • मधुमक्खियां की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रोटिन की उपलब्धता पर काफी निर्भर रहती है।

गोंद(Propolis)

मधुमक्खी के गोद को ही प्रपोलिस के नाम से जाना जाता है। यह एक बॉक्स से  एक किलो गोद निकाला जा सकता है जिसका मार्केट में कीमत लगभग 1200 रुपये तक है।

मोम (Bee Wax) 

मोम मधुमक्खी के ऊदर के निचले भाग से उत्पन्न होने वाला अत्यधिक उपयोगी उत्पाद है। मोम का बड़ा भाग छत्ते के निर्माण में प्रयोग होता है। इसका मूल्य शहद से भी ज्यादा है।यह कमेरी मधुमक्खी द्वारा तैयार किया जाता है।

मोम का उपयोग
  • मोमबत्ती बनाने
  • सौंदर्य प्रसाधनों
  • चर्म उद्योग
  • कला कृतियों के निर्माण में
  • फर्नीचर के उत्तम पॉलिश के उपयोग में होता है
मधुमक्खी से मोम निकालने का विधि-
  1. छत्ते को गर्म पानी में उबाल दे।
  2. अब मोम पानी के उपरी सतह पर तैरने लगेगा।
  3. अब उसको छानकर ठण्डा कर ले आपका मोम तैयार हो जाएगा।

मधुमक्खियों के चार प्रमुख़ प्रजातिया हैं

छोटी मधुमक्खी या मूंगा (एपिस फ्लोरिय)

पहाड़ी या सारंग मधुमक्खी (एपिस डोरसाटा)

भारतीय मधुमक्खी (एपिस सिराना इंडिका)

इटालियन मधुमक्खी (एपिस मैलिफेरा)

मधुमक्खी पालन के लाभ

मधुमक्खी के लाभ बहुत अधिक है, इसलिए इसके शहद को अमृत से तुलना किया गया है। कुछ मुख्य लाभ को बताते है।

  1. पराग के उत्पादन से मौन पालक की आमदनी अच्छी हो जाती है।
  2. मधुमक्खी पालन से शुद्ध शहद, मोम, गोंद, मौन विष, पराग, रॉयल जेली जैसे उत्पाद प्राप्त होता है जिसकी मार्केट में बहुत ज्यादा डिमांड है।
  3. मोमबत्ती बनाने
  4. सौंदर्य प्रसाधनों
  5. चर्म उद्योग
  6. कला कृतियों के निर्माण में
  7. फर्नीचर के उत्तम पॉलिश के उपयोग में होता है
  8. शहद खांसी दमा में उपयोग किया जाता है।
  9. शहद एक एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है।
  10. पराग के द्वारा एंटीऑक्सीडेंट के रुप में प्रयोग किया जाता है
  11. सूजन को राहत देने कि लिए
  12. तनाव कम करने के लिए 
  13. पराग ही मधुमक्खीयों का प्रमुख भोजन है। इसके अभाव में इनका वंश नहीं चल सकता।
  14. मधुमक्खियां की रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रोटिन की उपलब्धता पर काफी निर्भर रहती है।
मधुमक्खी बिष का उपयोग
  1. जोड़ो का दर्द
  2. गठिया
  3. चर्म रोग
  4. लकवा
  5. वात रोग ठीक किया जाता है
  6. शहद में विटामिन पोटैशियम, सल्फर, कैल्शियम, ग्लूकोज,फास्फेट , जिंक और आयरन होता है।
  7. बिना अतिरिक्त खाद, बीज, सिंचाई एवं मधुमक्खी के  वंश को फसलों के खेतों व मेड़ों पर रखने से मादा मधुमक्खी के परागण प्रकिया से फसल, सब्जी एवं फलो में डेढ़ गुना उपज में बढ़ोत्तरी होती है |
  1. यह रक्त शोधक होता है। 
  2. आंख, गले व जीभ के छालों के लिए फायदेमंद होता है। 
  3. शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
  4.  मधुमक्खी उत्पाद के  सेवन से मानव स्वस्थ एवं निरोगित होता है | 
  5. यह आँखों की रोशनी तेज करने में प्रयोग किया जाता है।
  6. मधु का नियमित सेवन करने से तपेदिक या टीबी, अस्थमा, अन्य श्वास संबधी बीमारी दूर होती है।
  7. कब्ज, खून की कमी, रक्तचाप की बीमारी नहीं होती है |
  8. रॉयल जेली का नियमित  सेवन करने से ट्यूमर नहीं होने की संभावना नही होती है।

यह प्राप्त होते ही हैं इसके साथ-साथ फसलों के उत्पादन क्षमता भी बढ़ जाती है इस व्यवसाय को अपनाकर छोटे व सीमांत किसान अपने हम धनी का स्तर बढ़ा सकते हैं जिस समय फूल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं उस समय मधुमक्खियां आपस में मिलजुल कर काम करती हैं जिसके कारण इन्हें सामाजिक कीट कहा जाता है

मधुमक्खी पालन में कम समय, कम लागत और कम  पूंजी निवेश की जरूरत होती है,कम उपजवाले खेत से भी शहद और मधुमक्खी के मोम का उत्पादन किया जा सकता है,

 मधुमक्खी पालन का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मधुमक्खियां कई फूलवाले पौधों के परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 

  मधुमक्खी का परिवार : 

मधुमक्खी के परिवार में एक रानी मक्खी कई हजार कमेरी मधुमक्खी सैकड़ों नर मक्खियां होती हैं । मधुमक्खी परिवार के प्रत्येक सदस्य का अपना अलग-अलग कार्य होता है

 रानी  मधुमक्खी:

 प्रत्येक परिवार में एक रानी मक्खी होती है जो आकार अन्य मक्खी के तुलना में सबसे लंबी लगभग दोगुनी होती है रानी मक्खी पूर्ण रूप से विकसित मादा तथा सारे परिवार की मां (जननी) होती है जब तक यह जीवित रहती हैं अंडे देने का कार्य करती है अनुकूल वातावरण तथा फूलों की अधिकता में मेलिफारा प्रजाति की रानी 1500 -2000 तक अंडे प्रतिदिन देती है। और सिराना इंडिका मक्खी 800-1000 अंडे देतीहै।

रानी अपने जीवन काल में एक ही बार संभोग करती है रानी की आयु 2 से 3 साल होती है रानी मक्खी जितनी युवा होगी उसके अंडे देने की छमता उतनी अधिक होगी

 कमेरी मधुमक्खियां (श्रमिक) 

ये मधुमक्खियां बांझ मादा होती हैं, इनकी संख्या लगभग 99% तक होती है कमेरी मधुमक्खियां परिवार का सारा काम करती हैं 

जैसे मोमी छत्तो को बनाना, मौन चारों तथा जल स्रोत का पता लगाना, पराग वह  मधु रस इकट्ठा करना, बच्चों का पालन पोषण करना, परिवार के दुश्मनों से रक्षा करना, आयु के आधर पर कमरी मधुमक्खियों का कार्य का विभाजन होता है, इनका उम्र लगभग 2 से 3 महीने तक होती है.

नर मधुमक्खियां 

परिवार में लगभग 1% नर मधुमक्खियां पाई जाती हैं इनकी संख्या 100 से लेकर 300 तक होती हैं नर मधुमक्खी कोई भी कार्य करने में असमर्थ होती हैं नर मधुमक्खी रानी मक्खी के निर्जीव अंडे से पैदा होते हैं ए 8 से 10 दिनों में जवान होकर रानी मक्खी से संभोग करने के योग्य भी हो जाते हैं, यह आकार में मोटे होते हैं इनका पिछला भाग काला रंग का होता है इनका आयु लगभग 60 दिन का होता है।

 मधुमक्खी पालन के लिए अवश्यक सामग्री-

  •  मौन पेटिका, 
  • छीलन छुरी, 
  • छत्ताधार
  • रानी कोष्ठ रक्षण यंत्र, 
  • दस्ताने, 
  • मधु निष्कासन यंत्र, 
  • स्टैंड, 
  • भोजन पात्र, 
  • धुआंकर और ब्रुश. , 
  • रानी रोक पट, 
  • हाईवे टूल (खुरपी), 
  • रानी रोक द्वार, 
  • नकाब, 
मधुमक्खी बॉक्स खरीदते समय ध्यान देने वाली बात मधुमक्खी बॉक्स एक गन्धरहित लकड़ी का बना होना चाहिए। जिसमें एक स्वस्थ रानी रहती है। और बॉक्स में पर्याप्त मात्रा में मौन वंश को भोजन पराग या मकरंद होना चाहिए

मधुमक्खी का जीवन चक्र मधुमक्खी

 का जीवन चक्र अवस्थाओं मैं पूरा होता है एक मधुमक्खी के जीवन में अंडा,सूंडी या कैटरपिलर, प्यूपा, और प्रौढ़ अवस्था होती है 

अंडे दो प्रकार के होते हैं के होते हैं एक स सजीव दूसरा निर्जीव। सजीव अंडे से रानी व कमरी मक्खी पैदा होती हैं तथा निर्जीव से नर मक्खी पैदा होते हैं इन्हें 3 दिन तक रॉयल jelly खिलाया जाता है उसके तक तत्पश्चात रानी कमरी तथा नर मक्खी का भोजन अलग-अलग हो जाता है 

रानी शिशु को शहद और पराग का मिश्रण तथा नर शिशु को डॉन जेली खिलाया जाता है

 मधुमक्खियां एक बेहद संवेदनशील कीट होती हैं बदलते मौसम इनके बक्सा का बेहद ख्याल रखा जाता है

परागण का महत्व 

वैज्ञानिकअनुसंधान के अनुसार 77% परागण कि क्रिया मधुमक्खीयों द्वारा ही किया जाता हैं।12%अन्य कीड़े मकोड़े द्वारा किया जाता हैं, तथा 11%परागण क्रियायें पानी,हवा तथा पक्षियों द्वारा किया जाता है

कीटो में मधुमक्खियाँ प्रमुख परागकण करता है।मधुमक्खियों द्वारा पैदावार में बृद्धी से मिलने वाला धन इनके द्वारा दिए गए शहद या मोम से प्राप्त धन से लगभग 20गुना अधिक होता सकता है। मधुमक्खी को एक पौंड शहद एकत्र करने के लिए लगभग 32000 फुलों पर जाना पड़ता है। तथा वे एक बार में 100 फूलों पर जाती हैं

मौन वंश परिवार का  देखभाल:

मधुमक्खी मौसम के प्रति बहुत ही संवेदनशील समाजिक कीट है, जिससे उन्हे अलग-अलग मौसम में बिशेष ध्यान देना चाहिए जिससे कि हमारे मौन वंश को क्षति होने से बच सकें।

ठंड में मधुमक्खी का देखभाल

ठंड के मौसम में हमारा तापमान काफी कम हो जाता है जो मौन वंश के लिए के काफी हानिकारक होता है। इसलिए उससे बचाने के लिए हमारे मौन वंश के बॉक्शो के अन्दर बोरी या टाट की सहायता से दो तह बनाकर ढक्कन को बन्द कर देना चाहिए। हो सकते तो बॉक्स को छेद को छोड़ कर बाहर से पूरे बॉक्स को पालीथीन से पैक कर दे। और मधुमक्खियों को ऐसे स्थान पर रखना चाहिए जहां पर धूप आती हो।

गर्मी के मौसम में मधुमक्खी का देखभाल

गर्मी के मौसम में हमारा तापमान लगभग 40 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुच जाता है जिसे हमारे मधुमक्खियों को पालने में समस्या आती है। इस समस्या का निदान के लिए बॉक्स को ऐसे जगह पर रहें जहाँ छाया और साफ स्वच्छ पानी का व्यवस्था हो। और बॉक्स को सफेद पेंट से पेंट देना चाहिए। जहाँ पर उचित हो मौन वंश को स्थानांतरण करते रहें। इस समय मौन वंशों के लिए प्राकृतिक भोजन की भी कमी होने लगती है जिसके कारण कृत्रिम भोजन की व्यवस्था करके रखें। और माइट कीट से बचाव के लिए फार्मिक एसिड 5ml देना चाहिए।

बरसात के समय में मधुमक्खी का देखभाल

मौव वंश के लिए बारिश का मौसम सबसे विपरीत मौसम होता है.। क्योंकि इस समय प्राकृतिक भोजन की चारों तरफ अभाव होने लगता है। जिससे कृत्रिम भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए। इस समय तेज बारिश व शरद हवा,चीटिंया मोमी पतंगा, का बहुत ज्यादा प्रकोप रहता है। इसके बचाव के लिए कृत्रिम भोजन देते है। उसके लिए एक किलो पानी के साथ 400 ग्राम चीनी को घोल कर ऊबाल कर चासनी बना कर उसे ठण्डा करने के बाद मौन वंश के बॉक्सों में उनके उपर सुपर लगा के देते है। मौन वंश की संख्या के अनुसार उसमें किसी वर्तन में शाम 6 बजे के बाद तथा सुबह  होते ही निकाल लें.। नहीं तो रॉबिन की समस्या पैदा हो जाएगी। ध्यान रखने वाली बात  यह है कि उतनी ही मात्रा दे जितना वे रात भर में उठा सके। बाहर कृत्रिम भोजन को नही देना चाहिए नहीं तो आपस में मार पीट होगा और हमारे मौन वंश को नुकसान होगा। बारिस के समय कीड़े मकोड़े व चींटियाँ से बचाने के लिए बॉक्स के स्टैण्ड मे पानी के कटोरा में रख देना चाहिए। जिससे चिटी प्रवेश नहीं कर पाये।

मधुमक्खी परिवारों का जोड़ना तथा विभाजन करना:

जब मधुमक्खियां बहुत ज्यादा मात्रा में हो जाती है जब यह बॉक्स में 90000 से लेकर 100000 तक हो जाती है, जब वातावरण मधुमक्खियों के अनुकूल होता है, तो इनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। तब इनको दूसरे बॉक्स में डिवीजन करते हैं, अगर ऐसा नहीं करते है तो कुछ मक्खियां भाग  जाती है।

और यह तभी करें जब उनके खाने-पीने का बहुत सही प्रबंध हो अर्थात फुल का सीजन है फुल बहुत ज्यादा मात्रा में । 

डिवीजन करने के लिए सबसे पहले परिवार के पास दूसरा खाली बॉक्स रखें। उसके बाद रानी वाला फ्रेम को अलग नए बॉक्स में रखे, उसके साथ शहद व पराग वाले फ्रेम को भी रखें। तथा जो मूल परिवार से 50 प्रतिशत ब्रुड हो चुकी है, उसको उसी पुराने बॉक्स में रखें, और कमेरी मक्खियाँ  16 दिन बाद रानी बन जाएगी दोनो बॉक्स को पास पास ही रखे लगभग 1 फीट की दूरी पर।

जोड़ने के लिए जब मधुमक्खी का परिवार रानी के बिना होतो,और कमजोर हो तो ऐसे शर्त में दुसरे परिवार में जोड़ देना चाहिए।

मधुमक्खी परिवार स्थानान्तरण करना: 

साल में लगभग 4-5सफाई कर देना चाहिए। जिससे उनको रोग बीमारी नहीं लगता है। सफ़ाई में ध्यान यह देना चाहिए कि मौन वंश  परिवार एक जगह से दूसरे जगह पर स्थानान्तरण करते समय निम्न बात को ध्यान रखें जिससे किसी प्रकार का हमारे मौन वंश को किसी प्रकार का नुकान न हो।- 

  1.  जहाँ भी मधुमक्खी का स्थानांतरण करे उस जगह की पहले जाँच करके निश्चित करलें।
  2.  गर्मी के समय में स्थनान्तरण करते समय यह ध्यान दे कि वहाँ पर स्वच्छ पानी का होना बहुत जरुरी है, और साथ-साथ  यात्रा के समय  बक्सों के उपर पानी छिडकते रहे। 
  3. अगर ज्यादा दूरी पर स्थानांतरण करना है तो मौन गृह में कृत्रिम  भोजन की  व्यवस्था करें जिससे हमारे मौन वंश को किसी प्रकार का हानि न हो । 
  4. स्थानांतरण करने के दूसरे दिन ही धुंआ देने का बाँद मौन वंश की देखभाल करना चाहिए और सफाई करना चाहिए।
  5. मौन वंश के बक्सों को गाड़ी में  छत्तो के लम्बाई की दिशा में रखें  जिससे हमारे छत्ते को कम झटका ले।
  6. अगर हमारे छत्तों में अधिक शहद हो तो उसे निकल लें 
  7. बॉक्स के प्रवेश द्वार पर  जाली लगाकर और बक्सो को बोरी से कील लगाकर पैक कर देना चाहिए। 
  8.  नए जगह  जहाँ पर स्थानांतरण किया है, बक्सों  का मुंह पूर्व -पश्चिम दिशा में रहें।। 

मधुमक्खियों के भोजन स्त्रोतः 

मधुमक्खियों के लिए भोजन का स्त्रोत दो प्रकार से उपलब्ध है

  1. प्राकृतिक स्त्रोत
  2. कृत्रिम स्त्रोत 
प्राकृतिक स्त्रोत: 

प्याज, भिन्डी,  बाजारा, सनई, सोयाबीन, अरहर, मुंग, धान, टमाटर, बरबटी, कचनार, बेर रामतिल, धनिया,सरसों, चना ,मटर, राजमा, शीशम, तोरियाँ,  कुसुम,  अनार, अमरुद, कटहल, यूकेलिप्टस, आंवला, निम्बू, , मेथी,  जंगली जलेबी,अलसी, बरसीम, नीम, तिल, इमली, कद्दू, तरबूज,करेला, लोकी, मक्का, सूरजमुखी,  करंज, अर्जुन,  खरबूज, खीरा, पपीता, ज्वार , बबुल, कचनार, अमरुद, शह्जन , राइ, आदि।

मौन वंश के लिए कृत्रिम भोजन

जब प्राकृतिक रुप से पराग तथा मकरंद का अभाव रहता है तो मौन वंश के बृद्धि के लिए कृत्रिम भोजन की व्यवस्था करना होता है. जिससे हमारे मौन वंश कमजोर न हो जाए।  इसके लिए चीनी का चासनी बना कर 50 प्रतिशत  तथा पराग की कमी पूरा करने के लिए पराग युक्त भोजन दिया जाता है। सोयाबीन का आटा 25 प्रतिशत, दूध का पाउडर 15 प्रतिशत तथा बेकिंग बिष्ट 10 प्रतिशत पीसी चीनी 40 प्रतिशत और शहद 10 प्रतिशत मिलकर गूथ लें और उसके बाद देना चाहिए।

मधुमक्खियों की बिमारियाँ

मधुमक्खियों का कीटनाशकों से बचाव

किसान अपने फसलों को कीटों से बचाने के लिए कई लिए कई प्रकार के कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं कीटनाशकों से मधुमक्खियों के बच्चों तथा मधुमक्खियों को नुकसान होता है उनके बालकों को यह अवश्य जान लेना चाहिए की शत्रु कीट की रोकथाम केलिए कोई रसायन के छोड़कर कोई और तरीके से हो सकता है तो कीट नियंत्रण के लिए दूसरे नियंत्रण का प्रयोग करना चाहिए।

सर्दी के मौसम में एक से दो के लिए बॉक्स को बन्द किया जा सकता है लेकिन गर्मी के मौसम में बन्द करने के लिए कॉफी सावधानी बरतनी चाहिए।

क्योंकि मधुमक्खियां अत्यधिक रोग के लिए अतिसंवेदनशील होती है।  

 मधुमक्खियों के सफल उद्दम के लिए यह जरुरी  है। की उनमे लगने वाली सभी  बिमारियों का पूर्ण  रुप से जानकारी होनी चाहिए । जिससे बड़ा हानि होने से बच जाए। 

 

मधुमक्खी व्यवसाय के लिए लाइसेंस (Bee License)

लाइसेंस के लिए निम्न चरण करना पड़ता है

  1. उद्योग आधार में रजिस्ट्रेशन कराना होगा
  2. GST
  3. करेंट बैंक खाता खुलवाना होगा
  4.  पैन कार्ड
  5. FSSAI द्वारा अपने मधु की जांच कराकर लाइसेंस प्राप्त  करें।
  6. ट्रेड लाइसेंस

 मधुमक्खी के व्यापार से लाभ 

एक कालोनी से लगभग 50-80किलो/वर्ष शहद निकलता है। जिसमें एक कालोनी में लगभग ₹2000 तक खर्च आ जाता है। जो बचा वह आपका लाभ है।

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